आज पुरे भारत मे दिवाली मनाई गयी.अयोध्या मे श्री राम पधारे.

आज पुरे भारत मे दिवाली मनाई गयी.अयोध्या मे श्री राम पधारे.

 आज पुरे भारत मे दिवाली मनाई गयी.अयोध्या मे श्री राम पधारे.


आज २२ जनवरी २०२४ आज का दिन एक ऐतेहासिक दिन बन गया है.आज के दिन हमारी ५०० साल कि प्रतीक्षा खतम हो गयी.क्योकी आज हमारे प्रभू श्री राम अयोध्या पधार रहे है.आज के दिन पुरे भारतीय लोग सुबह से हि जय श्री राम के नारे लगा रहे है.सुबह से सब बच्चे बुढे आज मंदिर मे जा रहे है.लोग आज सब तरफ मिठाई बाट रहे है.क्योकी आज हमारे प्रभू श्री राम विराजमान हो रहे है.

भगवान श्री राम हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता और एक प्रमुख ऐतिहासिक प्रतीक है. भगवान श्री राम अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र थे.और माता सीता के पती थे. भगवान श्री राम को हिंदू धर्म के एक प्रमुख अवतार भी माना जाता है. उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है. वह भगवान विष्णु के सातवें अवतार भी माने जाते हैं. श्री राम का चरित्र उनके धार्मिक और नैतिक शिक्षाएं और उनके आदर्श चरित्र लोगों के बीच एक आदर्श माना जाता है. श्री राम की कहानी और उनके वचन और विचारों को एक आदर्श पुरुष के रूप में बना दिया है. भगवान श्री राम धर्म, नैतिकता,और कर्म योग के प्रति अपने आदर्श शिक्षा के लिए पूजे जाते हैं.

भगवान श्री राम के प्रमुख कुछ नाम


राम, रघुकुल शेखर, रघुनाथ, जानकी नायक, मर्यादा पुरुषोत्तम, दशरथ नंदन, कौशल्या नंदन, श्रीपति, सीताराम, रघुकुल राजवर इसके अलावा और भी कुछ भगवान श्री राम के नाम है. भगवान श्री राम के नाम का जप और स्मरण हिंदू भक्ति और पूजा में महत्वपूर्ण है.

अयोध्या का इतिहास 

अयोध्या भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के साथ एक प्राचीन शहर है जो भारतीय इतिहास और धरोहर में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका इतिहास हिन्दू धर्म, रामायण, और भारतीय समराध्य महकाव्य के साथ जुड़ा हुआ है।

  1. पौराणिक कथाएँ: अयोध्या को सदियों से एक प्राचीन नगरी माना जाता है और इसका उल्लेख महाभारत, रामायण, और पुराणों में है। अनुसार, अयोध्या का नाम राजा अयु द्वारा रखा गया था और इसे अयोध्या नाम मिला।

  2. रामायण: अयोध्या का इतिहास रामायण के प्रमुख किरदार भगवान राम के साथ जुड़ा हुआ है। रामायण के अनुसार, राजा दशरथ ने अपने पुत्र राम को अपने पुत्र बनाने के लिए यज्ञ का आयोजन किया था, लेकिन इसके परिणामस्वरूप राम को वनवास जाना पड़ा। राम की पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी उनके साथ गए थे। इसके बाद, अयोध्या में भगवान राम की अभिषेक से उनके पिता की मृत्यु के बाद राम को अयोध्या का राजा बनाया गया था।

हनुमान कौन है?

हनुमान हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवता है और उन्हें महाकाव्य रामायण और महाभारत के ग्रंथों में विस्तार से वर्णित किया गया है। हनुमान को वानरसेनापति, महाकाव्य रामायण में राम के भक्त और सीता-राम के नेतृत्व में लंका धान की स्थानांतरण करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है।

हनुमान का उत्पत्ति कथा अनुसार, वायुपुत्र होते हैं, यानी वायु देवता के पुत्र। उन्हें शक्तिशाली, अद्वितीय, और राम-भक्त के रूप में जाना जाता है। हनुमान ने राम की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित किया और उनके लिए अनगिनत कठिनाईयों को पार किया।

हनुमान का पूजन भक्तिमार्गी और भक्ति भावना को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है और उन्हें साधकों द्वारा देवी-देवताओं की कृपा के लिए प्रार्थना का माध्यम माना जाता है।

श्री राम आरती.

श्री राम आरती, जो भगवान श्री राम की पूजा और आराधना में गाई जाती है, भक्तों के द्वारा समर्पित है। यहां एक प्रसिद्ध श्री राम आरती का संग्रहण है:

आरती श्री रामचंद्र की, किंहो ब्रजराज राजीराज।

तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय महं डाज।।

आरती कीजै हनुमान लाला की, दुष्टदलन रघुनायक जी की।

नागकन्या मोको चूड़ाई, मंगलमूरति रामदुलारी जी की।।

जय जय रघुवीर समर्थ, कामितफल दाता श्रीराम।

जीवन सफल अमंगलहारी, धरतीधरसुत बर्दानी श्रीराम।।

आरती कीजै रघुनायकजी की, दुष्टदलन रघुनायकजी की।

श्रीराम चंद्र कृपालु भजमन, हरण भव भय दारुणम्।

नवकंजलोचन कंजमुख कर, कंजपद कंजारुणम्।।

आरती कीजै रघुनाथ जी की, दुष्टदलन रघुनाथ जी की।

सीताराम सीताराम भजप्यरास, हरण भव भय दारुणम्।

नवकंजलोचन कंजमुख कर, कंजपद कंजारुणम्।।

आरती कीजै रघुनाथ जी की, दुष्टदलन रघुनाथ जी की।

श्रीराम जय राम जय जय राम।


माता सीता का कार्य

माता सीता हिन्दू धर्म के एक प्रमुख चरित्र हैं और उनका कार्य महाभारत और रामायण जैसी पौराणिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णन है।

  1. पतिव्रता धर्म: माता सीता को पतिव्रता धर्म का आदर्श माना जाता है। रामायण में, वह भगवान राम की पतिव्रता और नीति का पालन करती हैं, जो उनके पति के साथ उनकी प्रेम भरी और सच्ची सेवा करने का प्रतीक होता है।

  2. वचनबद्धता: माता सीता ने अपने पति के प्रति अपना वचन बनाए रखा और उसके साथ समर्पित रहने का प्रतिबद्ध था। जब राम वनवास जाने का निर्णय लेते हैं, तो सीता भी उनके साथ वनवास करने का निर्णय करती हैं।

  3. त्याग और समर्पण: माता सीता ने अपने अधिकार को त्यागकर अपने पति के साथ वनवास में जाने का निर्णय किया। रामायण में, वह रावण के अधिकार में रहकर भी उससे समर्पित नहीं थीं और अपने पति के पास लौटने की इच्छा रखती थीं।

  4. धैर्य और साहस: माता सीता का धैर्य और साहस उनकी शक्ति का प्रतीक हैं। जब उन्हें रावण द्वारा अगवा किया जाता है, तो उन्होंने अपने पति राम की खोज में रहते हुए उसके लिए बहुत ब्राह्मणों की सहायता करती हैं।

  5. अग्निपरीक्षा और पवित्रता: माता सीता की पवित्रता को लेकर रामायण में एक घटना है जिसे 'अग्निपरीक्षा' कहा जाता है। इसमें उन्हें अग्नि कुंड में प्रवेश करना पड़ता है और वह अगर पवित्र हैं तो उन्हें अग्नि से अस्तित्व मिलेगा। इस परीक्षा में माता सीता पवित्र और पतिव्रता होने का साबित हुईं।




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